गुरु ग्रह और ज्योतिष - गुरु ग्रह का आपकी कुंडली पर प्रभाव

प्रथम भाव में स्थित गुरु का फल

आपकी कुंडली के अनुसार प्रथम भाव में स्थित बृहस्पति बहुत शुभ परिणाम मिलने के संकेत दे रहा है। आप स्वभाव से दान पुण्य में विश्वास रखने वाले, उदार, स्वाभिमानी, धार्मिक, स्थिरचित्त होंगे। आपके शत्रु हमेशा आपके सामने पराजय का सामना करेंगे और उन्हें कष्ट भी पहुंचेगा। आप एक स्पष्ट वक्ता, सत्य को प्रमाण के साथ प्रस्तुत करने वाले और न्याय को महत्व देने वाले व्यक्ति होंगे। आप कोई भी कार्य कभी भी सोच विचार बिना नहीं करते। ब्राह्मणों और देवताओं के लिए आपके मन में बहुत श्रद्धा भाव है। रहस्मयी विद्याओं, आध्यात्म, स्वर्ण और रत्नों में आपकी रुचि होना संभव है। आप एक पर्यटनशील व्यक्ति होंगे। आपका व्यक्तित्व भी बहुत आकर्षक होगा। झूठी अफवाहों पर विशवास न करें अन्यथा कष्ट भोगना होगा। राजपक्ष से सम्मान और धन की प्राप्ति हो सकती है। यहाँ स्थित बृहस्पति हानि पहुंचा सकता है यदि आप सेना, पुलिस अथवा आबकारी विभाग से सम्बन्ध रखते हैं और घूसखोरी में लिप्त हैं। कष्ट से बचने के लिए इनसे बचने की आवश्यकता है। आपका धन विभिन्न प्रकार के भोगों के लिए व्यय होने की सम्भावना दिखाई दे रही है। आप दीर्घायु और बलवान होंगे परन्तु वात एवं श्लेष्मा से जुड़े रोग स्वास्थ्य बिगाड़ सकते हैं। आपको स्त्रीसुख मिलेगा एवं पुत्र प्राप्ति भी संभव है। पुत्र की आयु लम्बी हो सकती है। स्वयं को घमंड और व्यभिचार से बचाकर आप सुखी जीवन जी सकते हैं।

द्वितीय भाव में स्थित गुरु का फल

आपकी कुंडली के अनुसार द्वितीय भाव में स्थित बृहस्पति आपके स्वाभाव में सदाचार, उत्साह, विनम्रता, साहस, और न्यायप्रियता का विकास करता है। आप वाणी की मधुरता और प्रभाव के कारण लोकप्रिय और और सम्मानित होंगे। सभी लोगों से आपको आदर मिलता है जो आपके जीवन का सच्चा धन है। आपके पास बहुत संपत्ति, संतति, और अधिकार होंगे। धन संचय करने में आप बहुत दक्ष हैं। यहाँ स्थित बृहस्पति आपके लिए धन प्रप्ति और यश प्राप्ति के लिए अनेकों मार्ग प्रदान करता है जैसे सरकारी नौकरी, बैंक, शिक्षा संसथान, सोना चांदी, धर्म संस्था आदि। आप कलक्टर, न्यायाधीश अथवा मजिस्ट्रेट भी बन सकते हैं। आपको बंधू बांधवों का साथ मिलेगा और राजकुल अथवा सरकार की ओर से आयु के २७वें वर्ष में सम्मान मिलने की भी सम्भावना है। आपका व्यक्तित्व सुंदर होगा और आप दीर्घायु होंगे। बृहस्पति की इस दशा के कारण आपको अशुभ फल भी मिल सकते हैं।

तृतीय भाव में स्थित गुरु का फल

आपकी कुंडली के अनुसार तृतीय भाव में स्थित बृहस्पति संकेत दे रहा है की आपको धार्मिक कार्यों को करने, तीर्थयात्राओं पर जाने, और शास्त्रज्ञान पाने के अवसर मिलेंगे। आप जिस कार्य का भी संकल्प करते हैं उसे सफलतापूर्वक और चतुराई के साथ पूर्ण करते हैं। आप साहसी और तेजस्वी व्यक्ति होंगे और आपका इश्वर में भी पूर्ण विश्वास होगा। आप को कोई उच्च पद प्राप्त होगा और बहुत से लोग आपके नीचे काम करेंगे। राजकुल अथवा सरकार की ओर से भी सम्मान मिलने के संकेत मिल रहे हैं। लेखन के क्षेत्र से आपको लाभ हो सकता है। आप पर्यटनशील व्यक्ति होंगे। आपका जीवन भाई बंधुओं के प्रेम, सगे सम्बन्धियों के साथ, मित्रों के माध्यम से बहुत सुखी और संपन्न होगा। अपने भाइयों का आप बहुत ध्यान रखेंगे और उनकी सुख सुविधा का भी। आपका दांपत्य जीवन भी निर्विघ्न होगा और सुखी भी। शरीर से आप बलवान होंगे परन्तु भूख कम लगने के कारण दुर्बलता आ सकती है। बृहस्पति के इस भाव में होने के कारण आपके अन्दर कंजूसी की भावना प्रबल हो सकती है।

चतुर्थ भाव में स्थित गुरु का फल

आपकी कुंडली के अनुसार चतुर्थ भाव में स्थित बृहस्पति आपको मेधावी, यशस्वी, महत्वकांक्षी, सुहृदय, और बुद्धिमान व्यक्ति बनाता है। आप वाक्पटुता में बहुत निपुण हैं और इस कारण सबसे प्रशंसा भी पाते हैं। ब्राह्मण हो या या गुरुजन सभी को आप सम्मान और आदर देते हैं। आप शुभकर्म करने में विश्वास करते हैं। सरकार की ओर से आपको रहने के लिए घर मिल सकता है और धन की प्राप्ति भी होगी। आपके घर में हर तरह की सुविधा उपलब्ध होगी। विभिन्न प्रकार के वाहन, ज़मीन जायदाद, और उत्तम वस्त्र भी आप के पास होंगे। अपने पूर्वजों की संपत्ति को सहेज कर रखने के लिए आपको प्रयत्न करने पड़ेंगे। आपके व्यापार की गति धीमी होने के संकेत मिल रहे हैं। आपके पास पशुधन भी हो सकता है। आप अपनी माता के अधिक निकट होंगे और माता पिता दोनों की सेवा का अवसर भी आपको मिलेगा। आपकी वृद्धावस्था भी अच्छी बीतेगी और आप रूपवान और बलवान व्यक्ति होंगे। आप उद्योगी भी हो सकते हैं।

पंचम भाव में स्थित गुरु का फल

विलासिता, पवित्रता का विकास करता है। आप रूपवान, बुद्धिमान, श्रेष्ठ, न्यायप्रिय, संघर्षरत और मृदुभाषी व्यक्ति होंगे। आपकी प्रतिभा चारों ओर फैलेगी। आपकी कल्पना शक्ति प्रशंसनीय होगी और आप चतुर और महान कार्य करने के लिए प्रयासरत व्यक्ति होंगे। आप एक अच्छे वक्ता, उत्तम लेखक, अथवा ग्रंथकार हो सकते हैं। आपका मन स्वच्छ और व्यक्तित्व मनमोहक होगा। आपके पास सदा धन उपलब्ध रहेगा परन्तु आमदनी सामान्य रह सकती है। आप मनोरंजक और साहसी खेलों में भाग लेंगे और सफलता पायेंग। आपकी संतान सुन्दर होगी और जीवन का सुख भी प्राप्त करेंगी। बृहस्पति की अशुभ दशा के कारण अदालती मामलों में समस्याएं आएँगी और धन प्राप्ति के मार्ग में अवरोध उत्पन्न होंगे।

छठे भाव में स्थित गुरु का फल

आपकी कुंडली के अनुसार छठे भाव में स्थित बृहस्पति आपके स्वभाव में उदारता, सदाचार, विवेक, आदि का विकास करता है। आपकी वाणी में मधुरता होगी और आपके कर्म भी शुभ होंगे। आपका पराक्रम, प्रताप, यश, और लोकप्रियता दूर दूर तक फैलेगी। आपके पास ज्योतिष विद्या का ज्ञान होगा और मारण-उच्चाटन आदि मन्त्रों में कुशलता प्राप्त होगी। आपका यह गुण लोगों के बीच आपकी संधिग्ध छवि बना सकता है। आपका मन संसारी विषयों से विरक्त होने के संकेत भी मिल रहे हैं। आपके शत्रु हमेशा हारेंगे और समाप्त होते जायेंगे। आयु के ४०वें वर्ष में आपको किसी शत्रु द्वारा हानि पहुँच सकती है। आपकी रुचि संगीत के क्षेत्र में हो सकती है। चिकित्सा का क्षेत्र आपके लिए सफलता लेकर आएगा। कोई राज काज का कार्य हो या कोई विवाद आपको विजय ही मिलेगी। आपको जीवन में स्त्रीसुख, पुत्र पौत्रों का सुख और नौकर चाकरों का सुख मिलेगा। आपके कार्यं को पूर्ण होने में विलम्ब होता ही है। आपका शरीर निरोगी होगा परन्तु आप दुबले पतले हो सकते हैं। बृहस्पति की अशुभ दशा के कारण आपके मामा और भाइयों को कष्ट हो सकता है। अशुभ अवधि समाप्त होने के बाद गुरु, भाई-बहनों और मामा का सुख जीवन में प्रवेश करेगा।

सप्तम भाव में स्थित गुरु का फल

आपकी कुंडली के अनुसार सप्तम भाव में स्थित गुरु आपकी बुद्धि को कुशाग्र और आपकी वाणी को प्रभावशाली बनाता है। आपके जीवन में यश, प्रताप और प्रसिद्धि की कमी नहीं होगी। विपरीत लिंगियों के प्रति आपकी आसक्ति अधिक हो सकती है परन्तु यह समर्पण लम्बे समय तक नहीं चल पायेगा। आपका व्यक्तित्व दूसरों के लिए आकर्षण का केंद्र होगा जो उन्हें प्रसन्नता देगा और अपने वशीभूत कर लेगा। आपको शीघ्र ही कोई बड़ा पद अथवा उन्नति मिलने के संकेत मिल रहे हैं। आपकी रुचि काव्य, ज्योतिष, विभिन्न कलाओं, शास्त्रज्ञान में हो सकती है. आप एक विद्वान व्यक्ति होंगे। अपनी आजीविका के लिए सरकारी क्षेत्र, सलाहकार, चित्रकला, न्याय से जुड़े कार्य, मंत्रणा के कार्य आदि का चयन कर सकते हैं। विवाह पश्चात आपको धन, उच्च पद, सम्मान आदि की प्राप्ति होगी। आपका जीवनसाथी भी कुलीन, गुणवान और धनवान होगा। इस भाव में स्थित बृहस्पति कामुकता में वृद्धि करता है जिस कारण अभिमान का विकास हो सकता है। इसलिए आपको इससे बचना होगा।

अष्टम भाव में स्थित गुरु का फल

आपकी कुंडली के अनुसार अष्टम भाव में स्थित बृहस्पति आपको योगाभ्यासी व्यक्ति बनने में सहायक है। आपको उत्तम तीर्थ यात्राएं करने का अवसर भी मिल सकता है। अपनी कुल की परम्परा का पूर्ण रूप से पालन करते हैं। आप दीर्घायु होंगे और आपका व्यक्तित्व बहुत आकर्षक होगा। आपकी रुचि ज्योतिष में हो सकती है। आपका मन बहुत शांत और स्थिर होगा। आपको मोक्ष की प्राप्ति भी हो सकती है। आपको किसी वसीयत के कारण धनलाभ हो सकता है। आपको अपने पिता के घर रहने का अधिक अवसर नहीं मिल पायेगा। अपने स्वजनों से अत्यंत प्रेम के कारण आप उनका हर एक छोटा बड़ा काम प्रसन्नता से करेंगे। विवाह के माध्यम से धनलाभ के संकेत मिल रहे हैं। अच्छे मित्रों का साथ भी प्राप्त होगा। शूल रोग के कारण आप अस्वस्थ हो सकते हैं और आपकी प्रकृति में अंतर भी आ सकता है। बृहस्पति की इस स्थिति के कारण आप कंजूस और लालची बन सकते है अतः स्वयं को इससे बचाएँ। अपने मन की चंचलता पर भी ध्यान दें।

नवम भाव में स्थित गुरु का फल

आपकी कुंडली के अनुसार नवम भाव में स्थित बृहस्पति आपको स्वभाव से धार्मिक, सत्यवान, सदाचारी, शांतिप्रिय, और उच्च विचार रखने वाला व्यक्ति बनाता है। आपको समाज में सम्मान, यश, पराक्रम और लोकप्रियता मिलेगी। तीर्थ यात्राओं, धर्मकर्म, देवता, ब्राह्मण, गुरुजनों आदि से आपका लगाव हो सकता है। आप अपनी कुल की परंपरा का पालना करेंगे और उसमे वृद्धि भी। दान पुण्य करना और शास्त्रज्ञानी बनना आपको अच्छा लगता है। आप एक विचारशील और भाग्यवान व्यक्ति होंगे। आपकी रुचि विभिन्न शास्त्रों, कलाओं, और देवपित्र्भक्ति में होगी। आपको जीवन में लेखक, नेता, अथवा न्यायकर्ता बनने का अवसर मिल सकता है। अपनी आजीविका के लिए आप क्लर्क, कानूनी कार्य, धार्मिक विषय आदि का सहारा ले सकतेहैं. आपको राजपक्ष अथवा सरकार की कृपा प्राप्त हो सकती है। आपको माकन का सुख, राजाओं जैसी जीवन शैली, और नौकर चाकरों का सुख मिलेगा। अपने भाइयों और मित्रों का साथ भी मिलेगा। अपने ऊपर आलस्य को हावी न होने दें और आरम्भ किये गए कार्यों को पूर्ण करें।

दशम भाव में स्थित गुरु का फल

आपकी कुंडली के अनुसार दशम भाव में स्थित बृहस्पति आपके भीतर ऐसे गुणों का विकास करता है जो आपको समाज में सम्मान का पात्र बनायेंगे। आपका यश और प्रताप चारों दिशाओं में फैलेगा। आपका स्वभाव विवेकपूर्ण, न्यायप्रिय, और साधुता से युक्त होगा। आपको सत्य से प्रेम होगा। आपका चरित्र उत्तम और कर्म बहुत शुभ होंगे। आप अपने विचारों को स्वतंत्रता प्रदान करते हैं। आपकी रुचि ज्योतिष में हो सकती है और शास्त्रज्ञान भी आपके पास होगा। अपने प्रत्येक कार्य में आपको सफलता शीघ्र ही मिल जाएगी। आपके पास धन, भूमि, ऐश्वर्या की कोई कमी नहीं होगी। आपके पास उत्तम वस्त्र, आभूषण, उत्तम वाहनों आदि का भण्डार होगा। आजीविका के लिए आप जज, आयात निर्यात कर्ता, प्रवचन कर्ता आदि भी बन सकते हैं। आपका जीवन सुखी और समृद्ध होगा। अपने माता–पिता को आप सम्मान देते हैं ओर वे भी आपको बहुत प्रेम करते हैं। आपके भाई आपके लिए धन लाभ का कारण बनेंगे। स्त्री और पुत्र का सुख भी आपके जीवन में संतोष लायेगा। आपका स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। संतान के भविष्य के प्रति आपको चिंता घेर सकती है।

एकादश भाव में स्थित गुरु का फल

आपकी कुंडली के अनुसार एकादश भाव में स्थित बृहस्पति आपको श्रेष्ठ व्यक्तियों की संगति प्रदान करता है। आपका स्वभाव परोपकारी, साधु, उदार और संतोषपूर्ण होगा। आपको सत्य बोलने से प्रेम है। आप कुशाग्र बुद्धि और दीर्घायु होंगे। आपके द्वारा किये गए उत्तम कार्य आपको यश और लोकप्रियता दिलाएंगे। आपके मित्र कुलीन, व्यवहार कुशल, साधु स्वभाव, आपको अच्छी सलाह देने वाले, और आपकी आशाओं को पूरा करने में सहायक होंगे। आपके पास धन की कभी कोई कमी नहीं होगी और धन पाने के कई मार्ग उपलब्ध होंगे। आपका पराक्रम आपके शत्रुओं को पराजित करेगा। आपको राजपक्ष अथवा सरकार की ओर से लाभ की प्राप्ति होगी और उनकी कृपा बनी रहेगी। आयु के ३२वें वर्ष में आपको लाभ की प्राप्ति होगी और भाग्योदय होने के संकेत मिल रहे हैं। अपने पिता की सहायता करने का अवसर आपको मिलेगा। आपका शारीर निरोगी रहेगा। इस स्थिति में बृहस्पति संतान के प्रति चिंताएं, स्वभाव में कंजूसपन, संपत्ति की हानि आदि का कारण बन सकता है।

द्वादश भाव में स्थित गुरु का फल

आपकी कुंडली के अनुसार द्वादश भाव में स्थित बृहस्पति आपके स्वभाव में निडरता, उदारता, परोपकार, धार्मिकता, और सबसे मित्रतापूर्ण आचरण करना आदि का विकास करता है। आप सुखी, रीति रिवाजों को महत्त्व देने वाले व्यक्ति होंगे और संसार में सम्मान पाएंगे। आपकी रुचि आध्यात्म और शास्त्रज्ञान अर्जित करने में हो सकती है। आपको दान पुण्य करना, और व्यर्थ धन न ख़र्च करन पसंद है। आपके जीवन में धन, अन्न, संपत्ति, उत्तम वस्त्र, आभूषण आदि की कभी कमी नहीं होगी। आपको विदेश यात्रा एवं और भी यात्राओं का लाभ मिलेगा जिसके द्वारा आपको यश एवं समृधि मिलेगी। चिकित्सा, संपादन, वेदशास्त्र, आदि क्षेत्रों से आपको लाभ मिलने की प्रबल संभावना है। आपकी आयु का मध्यभाग एवं उत्तरार्ध बहुत सुखपूर्ण होगा। पिता की ओर से भी धनलाभ हो सकता है। स्वयं को आलस्य, संभाषण, एवं दूसरों के प्रति द्वेष की भावना से बचाना होगा।