शनि ग्रह और ज्योतिष - शनि ग्रह का आपकी कुंडली पर प्रभाव

प्रथम भाव में स्थित शनि का फल

आपकी कुंडली के अनुसार प्रथम भाव में स्थित शनि स्पष्ट कर रहा है की इस स्थिति के कारण आपको मिले जुले परिणाम मिलेंगे। आपको अकेले रहने में अधिक शांति मिलेगी और आप स्वयं को किसी भी प्रकार के झंझट से दूर रखेंगे। आपका व्यक्तितव पहली बार में ही सामने वाले पर एक गहरा प्रभाव छोड़ देता है। अपने कार्यकाल के आरम्भ में संघर्ष तो करेंगे पर यही संघर्ष, परिश्रम, और आत्मविश्वास आपको सफलता के रूप में किसी गाँव या शहर का मुखिया बनने में सहायक भी होगा। आप का स्वभाव ज़िद्दी ओर उदासीनता से भरा हो सकता है। आपको सरकार की ओर से समर्थन के कारण राजाओं जैसे अधिकार मिल सकते हैं। आप दीर्घायु, गुणों से परिपूर्ण और अपने शत्रुओं पर विजयी रहेंगे। शनि के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए स्वच्छता, फुर्ती, और विवादों से बचना सबसे उचित रहेगा। वात रोग के कारण स्वास्थ्य बिगड़ेगा इसलिए सावधानी बरतें। कड़ी मेहनत करने से आपके जीवन में धन एवं सुख की प्राप्ति होगी।

द्वितीय भाव में स्थित शनि का फल

आपकी कुंडली के अनुसार द्वितीय भाव में स्थित शनि संकेत दे रहा है कि संभवतःअपनी आयु के दुसरे पड़ाव में आपका निवास स्थान बदलने के कारण आपको धन, सुख एवं वाहन सुख की प्राप्ति हो। अपने देश में दूरगामी स्थानों की यात्रा अथवा विदेश यात्रा के द्वारा आपको बहुत लाभ होगा परन्तु अपने परिवार से दूर भी रहना पड़ेगा। जीवन में सफलता पाने के लिए दूर के क्षेत्रों में जाना आवश्यक है। आपके जीवन में किसी राजा की कृपा बनी रहेगी जिसके द्वारा आपको लाभ होगा। अपनी दूरदर्शिता और बुद्धिमत्ता के बल पर आप अपनी संपत्ति को बढ़ा सकते हैं। आपको धन इक्ख्ट्टा करने में कठिनाइयां आ सकती हैं, ऐसे में धन व्यय करने में समझदारी बरतें। शनि की यह स्थिति दो विवाह का कारण भी बन सकती है। न्याय और इमानदारी को अपने जीवन में स्थान दें। आप किसी मठ के प्रमुख भी हो सकते हैं। अपने शत्रुओं पर सदा विजयी रहेंगे। अपने जीवन से दुराचार, लोभ, कटु वाणी को त्याग कर आप शनि के दुष्प्रभावों को कम कर सकते है।

तृतीय भाव में स्थित शनि का फल

आपकी कुंडली के अनुसार तृतीय भाव में स्थित शनि आपके अन्दर कई गुणों जैसे न्यायिकता, बुद्धि कौशलता, फुर्तीलापन, विवेकपूर्ण आचरण एवं प्रमाणिकता का विकास करता है। आप एक अच्छे सलाहकार होने के साथ बलवान और प्रतापी भी हैं जिस कारण आपको अनेकों मित्र मिलेंगे और विपरीत लिंग वाले लोगों में सबके प्रिय भी होंगे। आपके शत्रु कभी भी आपको हरा नहीं सकेंगे। आपके स्वभाव में चंचलता देखने को मिलेगी। बिना किसी भेद भाव के आप सदा ही लोगों की पूर्ण सहायता कर पाएंगे। शनि की यह स्थिति आपको धनी बनने में सहायक होगी और आपको किसी गाँव या शहर के मुखिया के रूप में स्थापित करने में भी मदद करेगी। शनि की इस स्थिति के कारण कुछ अनचाहे परिणाम भी मिल सकते हैं जैसे कोई दुःख या अशांत मन या शिक्षा प्राप्त करने में कठिनाई या आलसीपन। आपका स्वास्थ्य बरसात या ठंड के मौसम में कुछ बिगड़ सकता है।

चतुर्थ भाव में स्थित शनि का फल

आपकी कुंडली के अनुसार चतुर्थ भाव में स्थित शनि आपको अनेक प्रकार के लाभ पहुंचाएगा। आपका स्वभाव शांतिप्रिय, अथिति सत्कार में उत्तम, परोपकारी, न्यायप्रिय, लोभरहित, धैर्यपूर्ण, और गुणों से परिपूर्ण होगा। अपने जीवनकाल में आपको कभी भी धन की कमी नहीं रहेगी और आपको कहीं से संपत्ति मिलने का योग बन रहा है। विदेश में रहकर बहुत उन्नति मिलेगी और आपके पास कई प्रकार के वाहन भी हो सकते हैं। आपकी आयु के सोलहवां, बाइसवां, चौबीसवां, सत्ताईसवाँ, आर छत्तीसवां साल बहुत शुभ होगा और हर तरह से फिर चाहे वह विवाह, नौकरी, सप्म्पत्ति आदि हो सबमें बहुत अनुकूल परिणाम मिलेंगे। अपनी आयु के छप्पन वर्षों तक आप सुखपूर्ण जीवन बिताएंगे; केवल छत्तीसवें वर्ष में कुछ कठिनाइयां आ सकती हैं। अपने शत्रुओं द्वारा भी आपको लाभ की प्राप्ति हो सकती है। शनि के दुष्प्रभावों की बात करें तो आप कुसंगति का शिकार हो सकते हैं। पिता द्वारा मिलने वाली संपत्ति से भी हाथ धोना पड़ सकता है। माता को भी किसी न किसी प्रकार का कष्ट रहने की आशंका है। एक ओर दो विवाह एवं गृह क्लेश हो सकता है तो दूसरी ओर शारीरिक सुख में कमी आ सकती है। इस सब के कारण मानसिक शांति पर बुरा असर पड़ेग।

पंचम भाव में स्थित शनि का फल

आपकी कुंडली के अनुसार पंचम भाव में स्थित शनि आपको कभी विपरीत तो कभी अनुकूल परिणाम देगा। अपने शत्रुओं पर विजय की प्राप्ति होगी। आप स्वभाव से परिश्रमी, चंचल, और धर्मात्मा व्यक्ति हैं। घूमने फिरने में आप आनंद महसूस करते हैं। आपकी आयु लम्बी होगी और आप बुद्धिमान और विद्वान होंगे। अपने जीवनकाल में आप अत्यंत प्रसन्न और सुखी रहेंगे। बेकार की बातों में समय न व्यर्थ करते हुए आप सदा अपने काम में लगे रहते हैं। संतान प्राप्ति में कुछ कठिनाइयां आ सकती हैं। पहली संतान के बाद दूसरी संतान की प्राप्ति में पांच, सात, नौ अथवा बारह वर्ष भी लग सकते हैं। कभी कभी शिक्षा प्राप्ति में भी समस्याएं आ सकती हैं। इस भाव में स्थित शनि दुष्प्रभावों के रूप में आपको धर्म से दूर ले जाएगा। आपकी धन संपत्ति, प्रसिद्धि सभी पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। आपके शारीरिक बल में कमी आएगी और स्वभाव में आलसीपन और कुटिलता का वास हो सकता ह।

छठे भाव में स्थित शनि का फल

आपकी कुंडली के अनुसार छठे भाव में स्थित शनि शुभ संकेत दे रहा है जिसके अनुसार सब कुछ अच्छा होगा। आप अपने जीवन में कर्म करने में विश्वास करते हैं। अपने शत्रुओं से भयमुक्त रहते हुए आप उनसे सम्मान पाने में भी सफल होंगे। आप एक अच्छे वक्ता, तर्कसंगत, दूसरों की सहायता और उन्हें सहारा देने वाले व्यक्ति हैं। शारीरिक रूप से आप सुंदर, रोगमुक्त, शक्तिशाली और बलशाली होंगे। पाचनशक्ति अच्छी होने के कारण और खुल कर भूख लगने के कारण आप अच्छे खान पान की ओर हमेशा आकर्षित होंगे। आपको किसी भी प्रकार का भय नहीं होगा परन्तु इस कारण अपने जीवन में अभिमान को हावी न होने दें। किसी भी तरह की गलत आदत से भी बचें। यही सावधानियां आपको धन संपत्ति, प्रसिद्धि और अधिकार प्राप्त कराएंगी। आपके कितने ही बंधू, नौकर एवं अनुयायी होंगे और आप सदा उनसे घिरे रहेंगे। आप गुणी व्यक्तियों और विद्वानों को पहचानते हैं और उन्हें सम्मान देने से पीछे नहीं हटते। पंडितों की आज्ञा मानना और दान पुण्य करना, ये आपके जीवन शैली का अंग है।

सप्तम भाव में स्थित शनि का फल

आपकी कुंडली के अनुसार सप्तम भाव में स्थित शनि आपके निजी जीवन के लिए शुभ नहीं कहा जा सकता। दांपत्य जीवन की बात करें तो दो विवाह होने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। विवाह से धन की प्रप्ति होगी और दुसरे विवाह से आपको भाग्य चमक उठेगा। परन्तु कभी जीवन साथी का स्वभाव आपके स्वभाव से विपरीत हुआ तो समस्याएं पैदा होंगी। संतान प्राप्ति में कठिनाइयां आएँगी। मन में विवाह न करने की इच्छा भी आ सकती है। आपकी जीविका के लिए कई मार्ग उपलब्ध होंगे। ठेकेदारी, लोहा,कोयला खदान से जुड़े कार्य, विदेश से जुड़े किसी कार्य में एजेंट, शिक्षा का क्षेत्र, गणक आदि ये सभी क्षेत्र लाभ पहुंचा सकते हैं। शनि के दुष्प्रभावों में आपके बाल्यकाल में माता पिता की ओर से कोई परेशानी आ सकती है। आपकी आयु के बावन्वे एवं तिरपनवे साल में आपको अपने जीवन साथी को लेकर चिन्ताएं उत्पन्न होंगी। संतान पर भी आपत्ति आ सकती है। एक ओर आर्थिक स्थिति परेशान करेगी तो दूसरी ओर रोग आपके शारीर को कमज़ोर करेंगे। मन और दिमाग़ दोनों ही अशांत रहेंगे।

अष्टम भाव में स्थित शनि का फल

आपकी कुंडली के अनुसार अष्टम भाव में स्थित शनि आपके अन्दर कई प्रकार के गुणों का विकास करता है। आपके भीतर शूरवीरता, बुद्धिकौशालता, दया, उदारता, निर्भयता आदि गुण होंगे। बोलने में भी आप बहुत चतुर होंगे। एक ओर आपको विवाह द्वारा धन लाभ हो सकता है तो वहीँ दूसरी ओर उत्तराधिकारी के रूप में कोई ज़मीन मिल सकती है। आपके अन्दर कुछ बातों का पूर्वानुमान लगाने की शक्ति छुपी है। आयु के प्रारंभ में कुछ कठिनाइयाँ आएँगी परन्तु लगभग छत्तीस वर्ष के आस पास भाग्य उन्नति की ओर ले जायेगाऔर सुख की प्राप्ति होगी। शनि के दुष्प्रभाव के कारण आलस्य आप पर हावी हो सकता है जिस कारण आपके स्वभाव में उत्साह की कमी और क्रोध देखने को मिलेगा। हाँ, चालाकी में आप पीछे नहीं रहेंगे। दूसरों के दोष आसानी से पकड़ पाएंगे। अपने स्वभाव में बुरे आचलन को पनपने न दें। अच्छे लोगों के साथ उठाना बैठना लाभकारी होगा। सन्तान की संख्या में कमी रह सकती है। जन्म स्थान से दूर रहने के संकेत भी मिल रहे हैं।

नवम भाव में स्थित शनि का फल

आपकी कुंडली के अनुसार नवम भाव में स्थित शनि संकेत दे रहा है कि आपके जीवन में कभी अनुकूल तो कभी प्रतिकूल स्थितियां आएँगी। स्वभाव और कर्म से आप धरम करम में विश्वास रखने वाले, साहस से पूर्ण, शांत मन, दयालु, प्रेम भरा व्यवहार करने वाले, सोचविचार कर कार्य करने वाले, घूमना फिरना पसंद करने वाले व्यक्ति होंगे। आपके यही गुण सबको आपकी ओर आकर्षित करेंगे और सबका प्रिय बना देंगे। अनेक क्षेत्रों जैसे आध्यात्म, योगशास्त्र, तीर्थस्थान, ज्योतिषशास्त्र, और तंत्र आदि में आपकी रुचि होगी। निर्णय लेने में आप कभी भी भावनाओं को आड़े नहीं आने देते। आप कोई ऐसा कार्य करेंगे जो आपको बहुत प्रसिद्धि दिलाने के साथ साथ हमेशा के लिए आपको यादगार बना देगा। आपका भाग्य हमेशा आपका साथ देगा। शिक्षा, वकालत, या ज्योतिषी आपको अपनी आजीविका चलाने में सहायता कर सकते हैं। अपने जीवन में गंभीरता के साथ अभ्यास करना आपकी सफलता में सहायक होगा। किसी का भी अपमान करना आपके लिया शुभ फल नहीं देगा। अपने व्यवहार में स्वार्थ, ढोंग, कंजूसी आदि को जगह न बनाने दें।

दशम भाव में स्थित शनि का फल

आपकी कुंडली के अनुसार दशम भाव में स्थित शनि आपको परिश्रमी, नम्र, बुद्धिमान, स्वाभिमानी, पराक्रमी बनाता है। आप अच्छे कर्मों को महत्व देते हैं और सब आपको प्रेम और सम्मान देते हैं। आप अपनी शूरवीरता से अपने कुल का नाम ऊँचा करेंगे। धर्म, सन्यास, ज्योतिष, आदि आपकी रुचि के क्षेत्र होंगे। आप महत्वाकांक्षी स्वाभाव के व्यक्ति हैं। अन्य लोगों की अपेक्षा आप में श्रेष्ठता एवं नेतृत्व करने की क्षमता बहुत अधिक होगी जिस कारण आप किसी गाँव, या किसी समूह, या नगर के शासक के रूप में उभर सकते हैं। जीवन में आने वाली प्रत्येक बड़ी सफलता के पीछे आपकी कर्तव्यनिष्ठा और आपका पराक्रम छुपा है। समाज सेवा हो या लोक सेवा दोनों से ही आपको प्रसिद्धि मिलेगी। आपका सम्बन्ध राजकीय क्षेत्र से हो सकता है जिस कारण आप न्यायाधीश अथवा राजकोषाध्यक्ष बन सकते हैं। आपके प्रतिद्वंदी हमेशा हार का सामना करेंगे। आप किसी ऊँचे पद पर नियुक्त भी हो सकते हैं। विदेशों में आपको उच्च कोटि के भवनों में निवास करने क मिल सकता है। कार्यक्षेत्र में उन्नति तो होगी पर थोड़े धीरे स्तर पर होगी।

एकादश भाव में स्थित शनि का फल

आपकी कुंडली के अनुसार एकादश भाव में स्थित शनि अधिकतर सभी कार्यों में सफलता दिलाएगा। संतोष, मीठी वाणी, बुद्धिमत्ता, विचारशीलता, परोपकार, आदि कितने ही गुण आपके अन्दर छुपे हैं। आप दीर्घायु होने के साथ भाग्यशाली भी होंगे। अपने शत्रुओं पर हमेशा हावी रहेंगे। आपका जीवन लोभमुक्त होगा। धन संपत्ति की कोई कमी नहीं होगी जिस कारण सुख समृद्धि भी आएगी। कोई राजा या सरकारी व्यक्ति या पंडित या कोई विद्वान आदि आपको लाभ पहुंचाएंगे। एक ओर आपको वाहनों का सुख मिलेगा तो दूसरी ओर नौकरों चाकरों की भी कोई कमी नहीं होगी। शनि की यह स्थिति आपको यश, अच्छे मित्र, धन संचय करने की क्षमता और अनेक प्रकार के सुख प्रदान करेगी। किसी के भी साथ छल कपट न करें। संतान प्राप्त करने में कठिनाइयाँ आएँगी। कोई भी रोग आपके जीवन में लम्बे समय तक नहीं टिक पाएगा।

द्वादश भाव में स्थित शनि का फल

आपकी कुंडली के अनुसार द्वादश भाव में स्थित शनि संकेत दे रहा है कि आपकी रुचि दान और यज्ञ, गुप्त रूप से धन संचय करना, कुछ अलग हटकर कार्य करने में हो सकती है। स्वभाव से आप एकांत में रहने वाले, त्याग और दयालुता में विश्वास रखने वाले होंगे। आपके शत्रु कभी भी आपको नहीं हरा सकेंगे। किसी का नेतृत्व करना, वकालत, ज्योतिष शास्त्र आदि में आप सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं। शनि के दुष्प्रभावों के कारण आपका व्यवहार निर्लज्तापूर्ण एवं कठोर हो सकता है। धन पाने के लिए ग़लत मार्ग अपना सकते हैं। स्वास्थ्य की बात करें तो नेत्ररोग, मानसिक अशांति, रक्त अशुद्धियाँ आदि बुरा प्रभाव डालेंगी। शरीर का कोई अंग कष्ट देगा अथवा कोई अंग खोना भी पड़ सकता है। आवश्यकता से अधिक ख़र्च, मांस मदिरा का सेवन, और बुरी संगति आपके लिए ठीक नहीं है। जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए अपनों के साथ को महत्व दें और धन अर्जित करने के प्रयास करते रहें।